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ज़ोंबी वायरस है विश्व का नया ख़तरा ???

By sourav singh Dec4,2022
JN.1 covid variant

रुस ,जर्मनी और फ्रांस की शोधकर्ताओं की टीम ने साइबेरिया में किये गए ग्लेशियर पर रिसर्च में 48,500 वर्ष पुराना ज़ोंबी वायरस का पता लगाया है|

पिछले कई वर्षों से बर्फ पर शोध चल रही है लेकिन रूस की एक जमी हुई झील के नीचे से ज़ोंबी वायरस के बारे में जानकारी मिलने के बाद वैज्ञानिक नयी महामारी की आशंका जाता रहे हैं

वैज्ञानिकों का कहना है की जलवायु परिवर्तन के कारन मानव सभ्यता पर बहुत बड़ा संकट आ सकता है वैज्ञानिकों ने बताया है कि ” यह वायरस लाखों वर्षों से बर्फ में जमे हुए थे इसके बावजूद संक्रमण फैलाने की इनकी क्षमता बरक़रार है

इन वायरस में सबसे पुराने ज़ोंबी वायरस को  “पैंडोरावायरस  येडोमा (PANDORAVIRUS YEDOMA)” का नाम दिया गया है|

कितना खतरनाक है ज़ोंबी वायरस ?

कितना खतरनाक है ज़ोंबी वायरस, यह जान ने से  पहले हमे यह पता होना चाहिए की वायरस होता क्या है ?

विषाणु (virus) अकोशकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही फ़ैल  सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल (Acid) और प्रोटीन (Protein) से मिलकर बनते  हैं, शरीर के बाहर तो ये निष्क्रिये  होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं।  एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक निंद्रा अवस्था  में रह सकता है और जब भी एक जीवित माध्यम या धारक के संपर्क में आता है, तो उस जीव की कोशिका को भेद कर ढक देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए( R.N.A) एवं डीएनए( D.N.A) की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का Reproduction शुरू कर देती है।

कितना खतरनाक है ज़ोंबी वायरस ?

वैज्ञानिको के मुताबिक सभी ज़ोंबी वायरस के अधिक संक्रमण होने की क्षमता है इसलिए यह लोगों को स्वस्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है| वैज्ञानिक का यह भी मान न है की भविष्य में कोरोना वायरस जैसी महामारी अधिक आम हो जाएगी क्यूंकि permafost पिघलने से माइक्रोबियल पुरे विश्व में फ़ैल  सकता है जिसका परिणाम जन मानस के हित में नहीं होगा|

वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि उत्तरी गोलार्ध का लगभग एक चौथाई हिस्सा permafrost से ढका हुआ है जो गर्म होती जलवायु के साथ बदल रहा है जिसके कारण स्थायी रूप से जमे हुए बैक्टीरिया और वायरस धरती के सतह पर आ सकते हैं| इतना ही नहीं कार्बनिक पदार्थ भी मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड में विघटित हो जाता है जिससे ग्रीनहाउस बनता है|

ज़ोंबी वायरस से भारत को क्या समस्याएं आ सकती है?

 कोरोना वायरस का कहर हम देख ही चुके है| पिछले साल भी ग्लेशियरों पर शोध  करने वाले वैज्ञानिकों ने बहुत से  वायरसों का पता लगाया था जो कई हजारों सालों से बर्फ के नीचे दबे थे। इनमें से 38 नॉवेल वायरस थे, जिसके बारे में इंसानों को कम पता था। माना जा रहा है की यदि यह वायरस फैलता है तो भारत समेत अन्य देशों को भी और एक भयंकर महामारी का सामना करना पर सकता है|

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