पिछले दिनों Demonetisation पर आया Supreme Court का फैसला बीजेपी सरकार की एक महत्वपूर्ण कदम के तहत Demonetisation को लागू कर पुराने 500 और 1000 के नोट पर निर्गमन को बंद कर एक नई रुपरेखा से लागू किया गया था लोगों की मिश्रीत भावनाओं के साथ इस लागू किया गया था, इसी बिच बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट का विभाजित फैसला आ चूका है। क्या है पूरी खबर, आई है इस पर चर्चा करते हैं
Demonetisation (नोटबंदी) :- 8 नवंबर 2016 को भारत द्वारा हर एक मायने से लिया गया था एक अहम् फैसला| सरकार द्वारा Demonetisation अर्थात नोटबंदी लागू किया गया था | इसके लागू होते ही लोगों के अलग-अलग सुझाव थे और यह मामला देश की सर्वोपरी न्यायालय सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची थी इसका निष्कर्ष Supreme Court ने अपने अलग फैसले में दिया है
Demonetisation का क्या है मामला ?
सुप्रीम कोर्ट ने Demonetisation को लेकर अपने पहले दिन के कार्य दिवस पर ही केंद्र सरकार द्वारा 2016 में लिए गए 500 हजार मूल्य वर्ग के करेंसी नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा| आज के दिन 4 जनवरी को रिटायर हो रहा है नई मूर्ति ऐसे नजीर की अध्यक्ष वाली 5 जून की सदस्य संविधान पीठ Constitutional Bench ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया।
5 न्यायाधिष्ठों की संविधान पीठ ने सभी याचिका petitions को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया है और यह कहा है कि कार्यपालिका की आर्थिक नीति होने के कारण निर्णय को वापस या उल्टा नहीं जा सकता|
Demonetisation के खिलाफ शिकायतें
Demonetisation के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुल 58 याचिकाएं दायर की गई थी। Demonetisation के खिलाफ में लोगों का यह तर्क था कि यह फैसला भारत सरकार का एक सुविचारित निर्णय नहीं था और इस नाते अदालत को इसे खारिज कर देना चाहिए|
न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर की सदस्यता वाली 5 न्यायाधीश उनकी संविधान पीठ ने अपनी विंटर ब्रेक से पहले दलीलें सुनी और फिर 7 दिसंबर को फैसले को स्थागित कर दिया|
Arguments (Demonetisation के सन्दर्भ में )
- पूर्व, केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम (P. Chidambaram) ने यह तर्क दिया है कि केंद्र ने नकली मुद्रा यह काला धन को नियंत्रित करने के लिए कोई वैकल्पिक तारिकों की जांच नहीं की है|
- अपने कथन में पी चिदंबरम ने आगे कहा कि सरकार अपने दम पर कानून निविदा (Lega Tender) प्रति प्रस्ताव शुरू नहीं कर सकती है|
- नोटों और मुद्राओं से जुडी कोई भी जानकारी या कार्य भारतीय रिज़र्व बैंक (R.B.I) के अधीन होना चाहिए और इतनी बड़े फैसले लेने से पहले यह सरकार की जवाबदेही है की वह हमें सूचित करे |
क्या है मामले में सरकार की राय ?
केंद्र ने कहा कि Demonetisation एक “सुविचारित” निर्णय था और नकली धन, आतंकवाद की फंडिंग, काले धन और टैक्स चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा था।
सरकार ने तर्क दिया है कि “जब कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है तो अदालत किसी मामले का फैसला नहीं कर सकती है।“
क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ?
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर, ए.एस. द्वारा समर्थित बहुमत का फैसला सुनाया। बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन।
न्यायमूर्ति बी.वी.नागरथना ने अल्पमत की दृष्टि से सरकार की पहल पर की गई Demonetisation की कवायद को गैरकानूनी और दूषित पाया, जो संसद में पूर्ण कानून के बजाय आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के आधार पर किया गया था।
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